ज़िंदगी की कशमकश मे गुम हुए रिश्ते
उजाला बनके फिर कहाँ से आजता है
कुछ ऐसे भी हैं जिनसे मिले बिना ही ऐसा याराना होजात है
सच ही है कभी अजनबी भी अपनों से ज्यादा करीब होजता है !

ज़िंदगी की कशमकश मे गुम हुए रिश्ते
उजाला बनके फिर कहाँ से आजता है
कुछ ऐसे भी हैं जिनसे मिले बिना ही ऐसा याराना होजात है
सच ही है कभी अजनबी भी अपनों से ज्यादा करीब होजता है !